
देवास, 11 सितम्बर 2025 | आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) के दिशा-निर्देशों के तहत, आगामी 23 सितम्बर को मनाए जाने वाले 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की तैयारियाँ पूरे देश में जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। इसी कड़ी में, अमलतास इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद ने आज एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर आयुर्वेद के उत्सव का शुभारंभ किया।संस्थान परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह के शांत वातावरण में एक योग सत्र के साथ हुई। यहाँ विशेषज्ञ प्रशिक्षकों ने प्रथम वर्ष के 100 छात्र-छात्राओं और शिक्षकगणों को विभिन्न योगासनों का अभ्यास कराया और उनके शारीरिक व मानसिक लाभों पर प्रकाश डाला।योग सत्र के बाद एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञ वक्ताओं ने आधुनिक जीवनशैली में आयुर्वेद और योग की बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये प्राचीन भारतीय पद्धतियाँ केवल रोग का उपचार नहीं करतीं, बल्कि व्यक्ति और समाज दोनों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं।”इस वर्ष आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद दिवस के लिए एक व्यापक विषय “आयुर्वेद जन-जन के लिए, पृथ्वी के कल्याण के लिए” निर्धारित किया है। इसका उद्देश्य आयुर्वेद को हर घर तक पहुँचाना और पर्यावरण के साथ उसके गहरे संबंध को उजागर करना है। इस आयोजन में अमलतास ग्रुप के डायरेक्टर डॉ. अभिजीत तायडे,अमलतास विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. शरदचंद्र वानखेड़े, रजिस्टार श्री संजय रामबोले,प्रबंधक डॉ. मनीष शर्मा , विकास मंडत प्राचार्या डॉ. अनिता घोड़के एवं सभी शिक्षक गण , छात्र एवं स्टाफ उपस्थित थे

इस अवसर पर अमलतास आयुर्वेदिक कॉलेज के चेयरमैन, श्री मयंक राज सिंह भदौरिया ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हम आयुष मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आयुर्वेद के इस महापर्व की शुरुआत कर रहे हैं। मैं अपने सभी छात्रों, शिक्षकों और स्टाफ को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सार्थक बनाया। हमारा लक्ष्य आयुर्वेद के ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पूरी प्रामाणिकता के साथ पहुँचाना है।”