
देवास। जिन्होंने देश को आजाद कराने में भूमिका निभाई हो…और वर्तमान में भी जिनका परिवार इसी तरह सामाजिक क्षेत्र में रहकर सक्रिय हो तो बात गर्व की होती है, जी हां हम बात कर रहे हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना बशीरुद्दीन एहमद साहब की, जिनकी याद में देवास के अमर मोहिनी हॉल में बज़्म-ए-अदीब राहिल की जानिब से एक मुशायरा हुआ जो उम्मीद से कहीं ज़्यादा सफल रहा। मुशायरे में शेर और ग़ज़ल का तो देर रात तक दौर चला । लेकिन मौलाना बशीरुद्दीन साहब के बेटे श्री इश्तियाक़ एहमद साहब को आयोजकों ने शॉल ओढ़ाकर और शिल्ड भेंट कर सम्मानित किया। मुशायरे की मुशायरे की सदारत उनके नवासे सय्यद महशर अली ने की। उनके पोते नईम अहमद अहम रहे।
इस मुशायरे में बतौर पर अफ़ज़ल खान, ज़ाकिरुल्लाह खान, प्यारे मियां पठान,मनीष चौधरी, जितेंद्र सिंह मोंटू, शकील शेख अपना,पत्रकार डॉ. रईस कुरैशी,फरीद खान, नईम एहमद, अबरार एहमद शेख,जाहिद पठान, शफीक खान, ज़ाहिद खान, इरफान खान, आमीन शैख आदि मौजूद रहे। मुशायरे की शुरुआत अदीब राहिल नात ए पाक से की। अज़ीम देवासी , देव निरंजन इंदौर से: आदित्य ज़रखेज़, नोमान अली नोमान, जुनेद एहमद जुनेद, बदनंजय कौसर, नदीम काविश, अदीब राहील, उज्जैन से: अंसार अहमद अंसार, मनन मशरूफ, साहिल सुलेमान आलम ने देर रात तक बांधे रखा। मुशायरे की निजामत मोईन खान मोईन ने की आभार वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रईस कुरैशी ने माना।