बात अंदर की- राजनिति में हम्मालों की जरूरत

(फरीद खान)

कुछ दिन पूर्व मैं एक पॉलिटिकल शख्सियत से मिला, हालाकि वह व्यक्ति मेरे बहुत ही अजीज दोस्त हैं, बातो ही बातों में उन्होंने कुछ ऐसी बात कह दी कि मुझे उनकी बातों से मुतासिर होना पड़ा, उन्होंने हमारे सामने बैठे एक अन्य मित्र से कहा मुझे हम्माल चाहिए…सामने वाले मित्र ने कहा किसलिर्ये …फिर उन्होंने कहा मुझे हमारी पार्टी के लिये राजनिति में मेरे जैसे हम्माल की जरूरत है…उन्होंने जैसे ही कहा कि मुझ जैसे…? मेनैं तुरंत उन्हें देखा…क्योंकि वह व्यक्ति राष्ट्रीय राजनिति में भी अपनी अच्छी खासी दखल रखते हंै, ऐसे में यह खुद को हम्माल क्यों कह रहे हैं, मैंने यही सोचा…? उसी दौरान मुझे समझ में आया कि राजनिति में इस तरह के हम्मालों की ही सख्स जरूरत है, जो पूरी तरह से अपना पूरा कैरियर ही राजनिति को बना ले…मैंने हमारे उस मित्र के संघर्ष को भी करीब से देखा है, सत्ता के सुख के करीब रहते हुए भी खुद को राजनिति में तपाते हुए और बड़ी-बड़ी लिडरशिप की डांट भी उन्हें खुद मिली है, जब कहीं जाकर आज वह एक सफल राजनेता हैं। लेकिन आज भी वह खुद को राजनिति का हम्माल ही मान रहे हैं, वह शख्स आज भी अपने घर परिवार से महिने में करीब 20 दिन दूर रहते हैं। और एक सामान्य जीवन जीने के साथ ही बड़ी राजनिति करते हैं। वर्तमान राजनिति जहां ग्लैमर से भरी हुई है वहीं आम जनता के बीच में रहकर और उनसे जीवंत संवाद करते हुए ही एक बेतहर राजनिति की जा सकती है, क्योंकि पैराशूट के नेता ज्यादा दिन तक जोर नहीं पकड़ते…वर्तमान में अगर हम देखें तो देश के ऐसे कई उदाहरण है जो सिर्फ अपनी सादगी के लिये ही जाने जाते हैं। जिन्होंने अपना पूरा जीवन राजनिति में एक हम्माल की तरह बिताया और आज आपके आसपास ही कहीं ऐसे नेता होंगें जो अच्छे पदों पर आसिन होकर प्रदेश और देश में अपनी साख के लिये ही जाने जाते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
अग्निवीर में चयन होने पर महिला की ख़ुशी