बास किरारोद उमराबाद में संत कबीर व डॉ. अंबेडकर की प्रतिमाओं का अनावरण, सामाजिक चेतना की अलख

समाजसेवी फूल सिंह महायच के सौजन्य से ऐतिहासिक आयोजन, संस्कृति, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता का मिला संगम

नारनौल । कबीर जयंती के पावन अवसर पर नारनौल उपखंड के गांव बास किरारोद उमराबाद में ऐतिहासिक एवं प्रेरणास्पद आयोजन का साक्षी बना जब संत कबीर दास और भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की भव्य प्रतिमाओं का अनावरण समारोह हर्षोल्लास और सामाजिक चेतना के साथ सम्पन्न हुआ। यह आयोजन समाजसेवा, सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक सुधार के आदर्शों को समर्पित रहा। *दो महापुरुष, एक संदेश – सामाजिक समरसता और चेतना* समारोह का आयोजन वरिष्ठ समाजसेवी एवं भारतीय रिज़र्व बैंक के सेवानिवृत्त प्रबंधक चौधरी फूल सिंह महायच के सौजन्य से दादा राणाधीर प्रांगण में किया गया। समारोह में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण डॉ. भीमराव अंबेडकर युवा समिति के प्रमुख सलाहकार एवं सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के महासचिव बिरदीचंद गोठवाल द्वारा किया गया, जबकि संत कबीर की प्रतिमा का अनावरण कृष्णा महायच (फूल सिंह महायच की धर्मपत्नी) ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में धम्मदेशना संदेश भंते थम्मशील ने प्रस्तुत किया। *सामाजिक परिवर्तन के वाहक बने महापुरुष* मुख्य अतिथि बिरदीचंद गोठवाल ने कहा, “संत कबीर और बाबा साहब अंबेडकर भारतीय समाज की आत्मा हैं। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे उनके समय में थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।”मुख्य वक्ता डॉ. शिवराज सिंह ने युवाओं को फेक लिटरेचर के दौर में अंबेडकर और कबीर जैसे प्रामाणिक विचारकों का अध्ययन करने की सलाह दी। विशिष्ट अतिथि दैनिक भीम प्रज्ञा के एमडी एडवोकेट हरेश पंवार ने कहा, “कबीर और अंबेडकर दोनों ही सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। उनका साहित्य और जीवन दर्शन समाज को नई दिशा देने में सक्षम है।”कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सरपंच सोमेश सिंह सैनी ने की। अन्य वक्ताओं में चंदन सिंह जालवान व प्रधान राजकुमार निम्बल ने भी महापुरुषों की जीवनी पर प्रकाश डाला । *शिक्षकों का योगदान और सामाजिक नवजागरण* इस अवसर पर उल्लेखनीय योगदान की चर्चा भी हुई। आयोजक फूल सिंह महायच द्वारा अपने गांव में शिक्षण गुणवत्ता को सुधारने के लिए वर्षों से प्रयास किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 50 से अधिक बच्चों की पढ़ाई में उत्कृष्ट सुधार देखा गया है। शिक्षक ईश्वर सिंह सैनी का नाम भी इस सुधार के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में सामने आया। *प्राचीन चेतना की नई प्रेरणा बनी प्रभात फेरी* कार्यक्रम से पहले गांव में प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें बच्चों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने भाग लिया। यह आयोजन केवल प्रतिमा अनावरण नहीं था, बल्कि यह सामाजिक चेतना, समरसता और शिक्षा के समन्वय का पर्व बन गया। *एक प्रयास, समाज के लिए प्रेरणा* चौधरी फूल सिंह महायच ने बताया कि प्रतिमाओं के स्थापना स्थल पर चारदीवारी, सौंदर्यीकरण एवं भंडारे सहित सभी व्यवस्थाएं निजी संसाधनों से की गई हैं, ताकि यह स्थल भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बन सके।यह आयोजन केवल एक अनावरण समारोह नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज के बुनियादी मूल्यों – समानता, शिक्षा और सेवा – को पुनः जीवित करने का एक अद्भुत प्रयास था। महापुरुषों की शिक्षाएं आज के युवाओं के लिए पथप्रदर्शक हैं। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब एक शिक्षित, संवेदनशील और जागरूक नागरिक समाज सुधार का बीड़ा उठाता है, तो बदलाव अवश्य संभव है।इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी शिवनारायण मोरवाल, सरपंच सुनिल सैनी, बलदेव पपरना, भगवान सिंह, सिंगर हवा सिंह बोद्ध, अमरनाथ सिरोहा, बनवारीलाल, अमर सिंह बोद्ध, रोहतास महायच, जगदीश महायच, डॉ मुकेश चहल, धर्मपाल सिहमा, जगदीश, सचिव मैनपाल, संजय इन्दौरा, चेयरमैन रामरत्न बोद्ध, कैलाश बोद्ध, यशपाल चौहान, महेंद्र डेलीगेट, रामपत, राजकुमार, अंजय इंदौरा, अनूप धरसू, योगेन्द्र निम्बल , संतोष, केलादेवी, फूलवती, राजंती, सुनिला, कमला, रेखा, सुप्यारी, निर्मला, उर्मिला आदि अनेक गणमान्य लोग व नारी शक्ति उपस्थित रहे।

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