मप्र उर्दू अकादमी द्वारा सिलसिला के तहत महान स्वतंत्रता सेनानी शंकरराव कानूनगो को समर्पित स्मृति गाथा एवं रचना पाठ आयोजित

देवास। मप्र उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्वावधान में जिला अदब गोशा, देवास के द्वारा सिलसिला के तहत महान स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी शंकरराव कानूनगो को समर्पित स्मृति गाथा एवं रचना पाठ का आयोजन 01 जून को सुबह 11 बजे से अंजुमन उर्दू कन्या विद्यालय, देवास में जिला समन्वयक मोईन ख़ान मोईन के सहयोग से किया गया। उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मप्र उर्दू अकादमी द्वारा प्रदेशभर में सिलसिला संगोष्ठियों के आयोजन का उद्देश्य प्रत्येक जिले में भाषा, साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने वाले शायरों और साहित्यकारों को मंच देना है। साथ ही ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व जिन्होंने सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय भावना को जीवन्त किया, इन कार्यक्रमों के माध्यम से उनको स्मरण करना और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करना है। इसी तारतम्य में देवास में आयोजित सिलसिला देवास के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी एवं जननायक शंकरराव क़ानूनगो की स्मृति को समर्पित है। यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि हम ऐसे व्यक्तित्व को स्मरण कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई, बल्कि स्वतंत्र भारत में भी जनसेवा और सामाजिक नेतृत्व के प्रतिमान स्थापित किए। जि़ले के समन्वयक मोईन ख़ान ने बताया कि सिलसिला के तहत स्मृति गाथा एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी डॉ हन्नान फारुक़ी ने की एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में स्वतंत्रता सेनानी श्री शंकर राव कानूनगो के पोते नयन क़ानूनगो जी, शाजापुर के वरिष्ठ शायर हनीफ़ राही एवं डॉ रईस क़ुरैशी आदि मंच पर उपस्थित रहे।इस सत्र के प्रारंभ में महान स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी शंकरराव क़ानूनगो के जीवन एवं कारनामों पर वरिष्ठ शायर विक्रम सिंह गोहिल ने प्रकाश डाल कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। विक्रम सिंह गोहिल ने कहा कि महान स्वतन्त्रता सेनानी शंकर राव क़ानूनगो ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1920 में आपका जन्म हुआ और 1929 की छोटी सी उम्र में आपने देवास के एक सरकारी स्कूल से ब्रिटिश झंडे को हटाकर उस समय का भारतीय झंडा लगा दिया था। देवास में हुए एक प्रसिद्ध चरनोई आंदोलन में उनकी विशेष भूमिका रही। उन्होंने न केवल आज़ादी की लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया बल्कि आज़ादी के बाद तक अनेक आंदोलनों का नेतृत्व भी किया।विभिन्न पदों पर आसीन होने के बाद भी उनके व्यवहार आचरण में कोई अंतर नही आया। वे नगर पालिका अध्यक्ष, ज़िला सहकारी संघ अध्यक्ष, बैंक अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे और साथ ही समाजसेवा से भी जुड़े रहे। रचना पाठ में जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर निम्न हैं -ये भी सोचा कभी शहनाई बजाने वालेसुन के शहनाई तड़प जाते हैं आंगन कितनेहनीफ़ राही शाजापुरहो गया हूँ दोस्ती में ख़ुद ही मैं ज़ेरो ज़बर ।जक़िरे बरबादी करूँ क्या मैं किसी के सामनेअकबर देवासीमौत की सम्त मैं आते हुए थक जाता हूँजि़न्दगी तुझको हराते हुए थक जाता हूँअज़ीम देवासीनफरतें अब कहीं आबाद न होने देंगेऐ वतन हम तुझे बर्बाद न होने देंगेसलाउद्दीन सलीसआज़ाद हर खय़ाल सुखऩ में लपेटकरदिल रख दिया क़बा कि घुटन में लपेटकरमोईन ख़ानजिस शेर में भी मैं ने किया जि़क्र आपकामेरी गज़़ल का शेर वो मशहूर हो गयामुस्तफा अदीबमैं यूँ भी शायरी करने लगा हूँ दोस्तों अबहर एक जख़़्म तो सबको दिखा नहीं सकताजय प्रकाशशीशे मिरे खिलाफ हैं पत्थर मिरे ख़िलाफ़सच बोलते ही हो गए मंजऱ मीरे ख़िलाफ़देव निरंजनमुझको नाज़ लबों पर अपने यूँ भी हैइन होठों ने संगे अस्वद चूमा हैगुलरेज़ अलीधागे मन्नत के भी तेरी ही ख़ातिर बाँधेअब तुझे बद्दुआ भी दूं तो मैं कैसे दूं भलाओम यादवशायरी कर के कहाँ क़द किसी का बढ़ता हैये वो जूता है जो पैरों में बहुत गढ़ता हैसर्वेश कुमारलोग ख़ुश रहने की देते हैं दुआएँ मुझकोऔर कम्बख़्त कभी ख़ुश नहीं रहने देतेआरिफ़ वारसीइश्क़ ख़ुद ज़िन्दगी का रस्ता हैइश्क़ में रास्ता नहीं होता।डॉ शरीफ़ जमालइस देश की मिट्टी में खुशबू है मोहब्बत कीईद ओर दीवाली सब त्यौहार हमारे हैशादाब अशरफीअपना वजूद ये है कि बे-नूर थे सो हैंहोने का क्या है चाँद सितारे थे इर्द-गिर्दचाँद सोनीतीरथ को मैं क्यों जाऊं जब, तुम शम्भू तुम ही शंकरसाथ तुम्हारा है साजन तो, घर उज्जैन सा लगता है।रुचिता डाबीकार्यक्रम का संचालन जय प्रकाश जय ने किया गया। अंत में जिला समन्वयक मोईन ख़ान एवं नयन क़ानूनगी ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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